ILLUSION-क्या हमारा होना एक भ्रम है.?

ILLUSION

ILLUSION & MYTHS

काफी वर्षों से एक बात जो अब हर इंसान को सत्ता ने लगा है। कि हमारा होना क्या मात्र एक भ्रम है। हम किसी एक काल्पनिक दुनियां के बासी है। जो एक वास्तविक दुनियां जैसे दिखने वाली दुनियां मे जी रहे है।

या हम ये भी कह सकते है। क्या हम किसी सपने कि दुनियां के अंदर मौजूद है। हम जिस दुनिया मे जी रहे है। वो वास्तविक भी है या नही। आखिर क्या है इसका सच्चाई और क्या इस बात मे कोई अर्थ बनता है। इसे कैसे समझें?

काफी वर्षों से एक बात जो अब हर इंसान को सत्ता ने लगा है। कि हमारा होना क्या मात्र एक भ्रम है। हम किसी एक काल्पनिक दुनियां के बासी है। जो एक वास्तविक दुनियां जैसे दिखने वाली दुनियां मे जी रहे है। या हम ये भी कह सकते है। क्या हम किसी सपने कि दुनियां के अंदर मौजूद है।

हम जिस दुनिया मे जी रहे है। वो वास्तविक भी है या नही। आखिर क्या है इसका सच्चाई और क्या इस बात मे कोई अर्थ बनता है। इसे कैसे समझें?

भ्रम, मिथ्या

 इस बात का शूरुआत काफी वक्त पहले भारत के एक क्रांतिकारी दार्शनिक आदि शंकराचार्य ने लगभग 1200 वर्ष एक ऐसा सिद्धांत बताया जिसका जवाब आजतक किसी इंसान के पास मौजूद नही है। मात्र 33 वर्ष मे इतने ज्यादा ज्ञान को पा लिया और समझ लिया जिसका उस वक्त मे कोई मुकाबला करने किसी में हिम्मत नही था।

उस वक्त के सारे दार्शनिक भी इनके जटिल सवाल को हल नही कर सके इनके सवाल के कोई तोड़ नही थे। अब एक आम इंसान सोच सकता है कि आखिर ऐसे कौन से सवाल थे जिसका जवाब किसी पास आज भी नही है।

1200 वर्ष पहले एक क्रांतिकारी दार्शनिक के मन के सवाल था। क्या हमारा होना एक भ्रम है? क्या हम किसी सपने की दुनियां के अंदर मौजूद है और हमारा होना क्या एक मात्र कल्पना है। यकीनन ये बात जानकर थोड़ा अजीब लग रहा होगा।

काल्पनिक दुनिया

हम जब किसी सपने को अपने दिमाग के अंदर देख रहे होते है उस वक्त हमे इस बात का जरा भी अंदाजा नही होता की हम सिर्फ किसी एक काल्पनिक दुनिया के अंदर मौजूद है। क्योंकि हमारा दिमाग ये काम इतना ज्यादा बखूभी से निभाता है जिसका हमे ख़बर तक नही पता चलता है। हम हर रोज़ सोते है जागते है लेकिन इस बात पर हम ध्यान नही देते कि आखिर हम सपने के अंदर कैसे पहुंच जाते है।

इस बात का हमे आजतक कोई ख़बर नही है। इस घटना के असलियत मे क्या कारण है ऐसे कैसे हो सकता है। हम जिस दुनिया में मौजूद होते है। उसके वावजूद भी रोज सोने के बाद किसी और काल्पनिक दुनिया मे कैसे चले जाते है।

हम सपने के अंदर कि दुनिया मे जब मौजूद होते है उस वक्त का दुनियां बिलकुल असल सा लगता है। क्योंकि हमारे दुनियां मे जो चीज भी हमे दिखता है वो सब हमे सपने के अंदर कि दुनिया मे दिखता है। जिससे हमारे दिमाग को इस बात का यकीन होने लगता है कि ये भी एक असल दुनियां हि है। इस सवाल को और भी ज्यादा कठिन और जटिल बनता है। जब इंसान सपने के अंदर मौजूद होता है तो उस सपने के अंदर आए अनजान व्यक्ति को कौन नियंत्रण करता है।

हमारे सपने के अंदर हमारा वजूद का होना हमे समझ आता है। लेकिन उस सपने मे किसी और व्यक्ति का होना। ये बात किसी को समझ नही आता कि आखिर ये कैसे संभव हो सकता है?

सपना ( DREAM )

आदि शंकराचार्य के मन मे ऐसे हि कई सवाल थे कि आखिर हम जब सपने के अंदर होते है। उस सपने के अंदर कोई दूसरा व्यक्ति जो मौजूद होता है। उसे कौन नियंत्रण करता है। ठिक इसी सवाल का जवाब किसी के पास नही है। इस कारण उन्होंने बताया कि जिस प्रकार हमारे सपने मे किसी का आना एक भ्रम है मिथ्या है। उसी प्रकार हमारा होना भी एक प्रकार का भ्रम हो सकता है। क्या इस प्रकार हम जिस ब्रह्मांड मे रहते है।

जिसे वास्तविक मानते है। ये पूरा ब्रह्मांड भी किसी के सपने के अंदर समाया हुआ है। हम किसी सपने के अंदर आए हुए एक मात्र कल्पना है? ऐसे हि ये सवाल है जिसे आजतक कोई महान से महान दार्शनिक वैज्ञानिक भी ना समझ पाए और ना हि सुलझा पाए। अब इस असंभव से सवाल के जवाब ना होने के कारण कई लोग मानते है कि हमरा होना एक मात्र भ्रम है। मिथ्या है, काल्पनिक है।

अब ऐसे जटिल सवाल को मन सबसे पहला और अनसुलझे सवाल आते है? कि अगर हमारी दुनिया काल्पनिक है। या हमारा ब्रह्मांड सपने मे है। या कहे हम हमारा ब्रह्मांड मिथ्या है। तो इस काल्पनिक दुनियां से बाहर निकलने का क्या कोई तारिका है? जिसे कोई एक वास्तविक दुनियां में जया जा सके।

इस अनसुलझे सवाल का हल आदि शंकराचार्य ने बताए। इनका मनना था कि हम इस काल्पनिक दुनिया से बाहर जाया जा सकता है। हम इस सपने की दुनिया से बाहर आ सकते है। इसके कई शुत्र इन्होंने बताए। हमे कई बार अपने सपने मे ख्याल आता है कि ये झूट है ये सपना है और हम उठ जाते है। ठीक इसी प्रकार हमे इस काल्पनिक दुनिया से बाहर निकलने के लिए हमे जागना होगा। जिस प्रकार हम सपने की दुनियां से बाहर आने के लिए जागना परता है। ठिक उसी प्रकार हमे इस काल्पनिक दुनियां से बाहर आने के लिए हमे जागना होगा।

जिसे आदि शंकराचार्य ने ध्यान कि विधि प्रदान किए है। उनके द्वारा कई ध्यान कि विधि प्रदान किए जिससे इंसान इस मिथ्या जगत से खुद को मुक्त कर सकते है।

सपने से बाहर

भारतीय संस्कृति के अनुसार इस मायावी संसार से निकलने के लिए हमे ध्यान के कुछ विधि का इस्तेमाल करना होगा जिसप्रकार हम इंसान किसी विडीयो गेम एक लेवल से दूसरे लेवल में प्रवेश करते है ठिक उसी प्रकार भी आध्यात्म के नजरिए से इंसान के शरीर में सात लेवल तक होते है जिसे सात चक्र भी कहा जाता है। ध्यान करने पर हमारे इस शरीर के एक एक लेवल यानी चक्र खुलते है। और इंसान को ऐसे चीजों के दर्शन होते है जिसका जिक्र कर पाना असंभव सा है। इतिहास में कई ज्ञानियों ने इस चीज को अनुभव किया है और इस मायावी संसार से मुप्त होने का दावा किया है।

हालांकि इनके द्वारा बताए गए इस बात का कोई प्रमाण मौजूद नही है लेकिन उन्होंने इस अनुभव का होने का दावा किया है हो सकते है इनके द्वारा दि गई जानकारी का सच्चाई से कोई संबंध ना हो और उनके द्वारा बताए गए बात झूठ हो।

हम किसी सपने में या भ्रम में जी रहे है ये बात हो सकती है लेकिन इस भ्रम या सपने से बाहर निकलने का कोई सटीक उपाय मौजूद नही है जितने भी उपाय बताए गए है वो सारे चेतन मन के उपर है हमारे भौतिक जीवन से जुड़े शायद एक भी उपाय मौजूद नही है।

हालांकि इस तरीके को कई लोग नही समझ पाए और कई लोग का मानना है ध्यान कि कोई विधि से इस काल्पनिक दुनियां से बाहर नही जाया जा सकता है। लेकिन आदि शंकराचार्य के द्वारा दिए गया इस जटिल सिद्धांत का कोई जवाब आजतक नही मिले क्या आखिर हमरा दुनियां मिथ्या है।

Leave a Comment