MOAI-अजीबो गरीबों मोई मूर्तियो।

MOAI

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आज हम आपको एक ऐसी जगह और ऐसे अनोखे मूर्तियां के बारे में बताने वाले है। जिसके बारे आप सिर्फ़ अपने बचपन कि कहानियों में सुनते आए होंगे।

लेकिन MOAI ये कोई कहानी नही बल्कि ये एक हकीकत और सच्चाई का रुप जिसके बारे आप जानकर हैरान हो जाओगे कि क्या सच में हमारी पृथ्वी पर भी ऐसे जगह और मूर्तियों हो सकते है। जो हम इंसान कि कल्पना को हकीकत बनता है। इसकी सूचना इतना अजीब है जो सच मे किसी कहानियां जैसे लगती है। लेकिन ये कहानियां जैसे लगने वाली सच है।

ISLAND

ईस्टर आइलैंड के MOAI दक्षिण प्रशांत महासागर मे मौजूद है और उसी आइलैंड के पास एक और छोटा सा आइलैंड मौजूद हो है वो मात्र सिर्फ 63.2 वर्ग किलोमीटर मे फैला हुआ है। दिखने मे आम जैसे हि आइलैंड दिखता है मगर उस छोटे से टापू पर दुनियां के सबसे अजीबो गरीबों मूर्तियो मौजूद है। ये आइलैंड प्रायटको को सबसे ज्यादा आकर्षित करता है। लोग यहां छुट्टियां मनाने आते है। इस आइलैंड के आस पास दो समुद्री तट मौजूद है।

एक पूर्वी समुद्री तट है और एक पश्चिमी तट मौजूद है। वहां के समुद्र के अंदर कई सौंदर्य जीव मौजूद है। जिसे कई लोग यहां छुट्टियां मनाने और घूमने आते है लेकिन एक और अद्भुद चीज मौजूद है जिसके कारण यहां सबसे ज्यादा आश्चर्यचकित और सौंदर्य का दर्शन करवाता है।

लेकिन और भी एक चीज प्राचीन मंदिर उस आइलैंड पर मौजूद है। जिसे मोई की मूर्तियां के नाम से जाना जाता है।  बड़े अजीब दिखने वाले मुर्तियां भी मौजूद है जो लगभग 900 के करीब मौजूद है सारे मूर्तियां एक जैसे हि दिखते है। ऐसा लगता है माने कोई एक जैसी सकल के दिखने वाली सारी मुर्तियां एक जैसी हि बनाई गई है।

कहां जाता है वो सारे एक जैसे दिखने वाली मुर्तियां किसी देवता के लिए बनाया गया था एक मोई कि मुर्तियां 30 से 40 फिट तक लंबी है। मोई कि प्राचीन मुर्तियां लगभग 100 टन तक भारी है। इस प्राचीन मुर्तियां कि उम्र 1000 वर्ष बताए जाते है। और कुछ मुर्तियां का उम्र 1500 वर्ष तक पुरानी बताया जाता है। मोई की मुर्तियां एक हि पत्थर से बनाया गया है। जो इस प्राचीन आइलैंड पर बड़ी हि अनूठे तरीके से सुंदरता को बढ़ाता है।

काफी सवाल दबाए खड़े ये मोई कि अदभुद और अजीब मूर्तियां जिसे क्यों बनाया गया। आज तक इस रहस्य को कोई समझ नहीं पाया है। ईस्टर आईलैंड पर बनी लगभग 900 के करीब ये मोई कि मूर्तियां, जो 100 टन वजन के साथ 30 से 40 फीट तक लंबी है। जिसे रापा नुई नामक आदिवासी, तकरीबन 12वी से 15वीं शताब्दी के बीच इस महान संरचना को आकार दिए। इतिहासकारों और रिसर्चर का मानना है कि इन मूर्तियों को, ज्वालामुखी के पत्थर से बनाया गया हैं। जो इस जगह से कई दूर स्थित है। ये सवाल जो कई वैज्ञानिकों को हैरान कर देती है।

UNSOLVED

आखिर इतने भारी भरकम पत्थर को इतना दूर से बिना किसी उपकरण या साधन के सहारे कैसे लाया गया होगा। क्योंकि उस समय कोई उन्नत तकनीक ना होने के कारण, ये असंभव सा लगता है? जिस जगह से इस भारी भरकम पत्थर को लाया गया। उस पहाड़ कि ऊंचाई काफ़ी ऊंची है। और उतने उपर से नीचे कि और बिलकुल सटीक तरीके से बिना गरबरी के कैसे उस समय के आदिवासी ने लाए थे।

कई रिसर्चर का ये भी मानना है कि इस मोई कि मूर्तियो को किसी दूसरे दुनियां के जीव यानी एलियन के सहारे बनाया गया है। जो हम इंसान से कई ज्यादा विकसित प्राणि होंगे। और उन्होने अपनी आधुनिक तकनीक इसे बरे हि आसानी से बनाया होगा। और फिर वो जब भी पृथ्वी पर आते होंगे तो इसे चिन्ह के रूप उपयोग करते होंगे। इस जानकारी से भी अजीब जानकारी तो ये है, कि जिन लोगों ने ये मोई के मूर्तियां बनाए।

उन लोगों कि जनसंख्या बहुत तेजी से खत्म हो गया। मतलब कि आचनक से जिन लोगों ने ऐसे अजीबों गरीबों मूर्तियों बनाया वो सारे के सारे गायब हो गए। लेकिन ये कैसे संभव हो सकता है। सच्चाई तो ये है, कि आज कोई भी नही जानता कि आखिर ऐसे मूर्तियां का निर्माण क्यों किया गया?

ART

इन्होंने पहले बड़े बड़े पत्थरों को अपने विकसित तकनीक के सहारे समुद्री तट पर लाए उसके बाद इन्होने
हाथों के जरिए पत्थरों के आउजार बनाए फिर इन्होने पत्थरों को तोरा फिर धीरे धीरे इन्होने उस पत्थर में आकार देने लगे। इसी काम को सालों तक दोहराने से ये इस काम में माहिर हो गए और इसी प्रक्रिया कई बार करके ढेरों मूर्तियां का निमार्ण किए।

जिसे आज कोई भी इंसान यकीन करने से इंकार करता है कि ये हम इंसानों द्वारा बनाए गए सबसे अद्भुद मूर्तियों में से एक है। लेकिन एक दूसरे तरफ कि शोधकर्ता का मानना है कि इस मूर्ति को जितना आसनी से बनाने उपाय बताया जा रहा है। असलियत में उससे भी जटिल प्रक्रिया से बनाया गया है। और उनका मानना है कि इन मूर्तियों का निर्माण केवल इंसान के करी मेहनत से बनाना असंभव है।

ये एक बिलकुल सोची समझी बनाई गई मुर्तियां है। और उस समय के आदिवासी इस रहस्मई मूर्तियों को अपना देवता मानते थे। और उन्हें इन मोई की मुर्तियां जिनसे उनलोगो को शक्तियों मिलते होंगे। इस बात के भी कोई ठोस सबूत मौजुद नही है।

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